agnivaarta
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रोजाना बुनता हूँ एक ख़्वाब नया
रख देता हूँ उसे
तुम्हारी आँखों में
तुम सो जाते हो देखता हूँ
तुम्हे
या शायद अपने ख्वाबों को
आँखे खोलती हो तुम
अंगडाई लेते हुए
फिर मुस्कुराती हो
नज़र भर के देखती हो मुझे
सिर हिला देती हो हौले से
मानो कुछ पूछ रही हो
मैं क्या जवाब दूं
बस मुस्कुरा भर देता हूँ
एक ख़्वाब पूरा हो गया.
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